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बारिश की बूंदो में मुझको अक़्स तुम्हारा दिखता है।

बारिश की बूंदो में मुझको अक़्स तुम्हारा दिखता है।
फ़िर गले लगाकर तुमको मेरा बदन भी सिकता है।।

टिप टिप करती बूंदों का, केशों से वक्षों पर गिरना ।
यह मनोहर दृश्य देख कर, मेरा इश्क़ भी रिसता है।।

Shivank Srivastava 'Shyamal' बारिश की बूंदो में मुझको अक़्स तुम्हारा दिखता है।
फ़िर गले लगाकर तुमको मेरा बदन भी सिकता है।।

टिप टिप करती बूंदों का, केशों से वक्षों पर गिरना ।
यह मनोहर दृश्य देख कर, मेरा इश्क़ भी रिसता है।।
बारिश की बूंदो में मुझको अक़्स तुम्हारा दिखता है।
गले लगा कर तुमको, मेरा बदन भी सिकता है।।
बारिश की बूंदो में मुझको अक़्स तुम्हारा दिखता है।
फ़िर गले लगाकर तुमको मेरा बदन भी सिकता है।।

टिप टिप करती बूंदों का, केशों से वक्षों पर गिरना ।
यह मनोहर दृश्य देख कर, मेरा इश्क़ भी रिसता है।।

Shivank Srivastava 'Shyamal' बारिश की बूंदो में मुझको अक़्स तुम्हारा दिखता है।
फ़िर गले लगाकर तुमको मेरा बदन भी सिकता है।।

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यह मनोहर दृश्य देख कर, मेरा इश्क़ भी रिसता है।।
बारिश की बूंदो में मुझको अक़्स तुम्हारा दिखता है।
गले लगा कर तुमको, मेरा बदन भी सिकता है।।