रेल प्रशासन मूक बधिर बनें हमारी तक़लिफों को भला क्यों नहीं जानते हैं सही सूना है अपने कानों से लातों के भूत बातों से नहीं मानते हैं देखना महात्मा गांधी के भक्त कब भगतसिंह का साफा अपने सर बांधते हैं सुन लो कान खोलकर विनम्रता को नपुंसकता से कभी भी नहीं आंकते हैं रेल सुविधाओं को जनता से विमुख होकर भी कहां ऐसे चुनकर छांटते हैं देश विरोधी निर्णय के खिलाफ अब हम आंदोलन का चर्चा बांटते हैं समस्या को समस्या नहीं मानते हैं और अपना अड़ियल चौड़ा सीना तानते हैं देखना ध्वस्त होगा तुम्हारा अव्यस्थित कुशासन हम लहू में अपनी क्रांति सानते हैं अडिग,अचल,अटल, अकाट्य विचारों को इस महा अभियान में साधते हैं देखना है ज़ोर कितना बाजुएं-रेल-प्रशासन में है हम यही ताकत नापते हैं ©Aditya Kumar Bharti #रेल रोको आंदोलन