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रवि की किरणे बरस रही है इस क्षितिज पर आकर , कनक फर

रवि की किरणे बरस रही है
इस क्षितिज पर आकर ,
कनक फर्श को बिछा रही है
सुबह यहाँ पर लाकर ,
इस दृश्य से आँख न हटती
मन न तृप्त है होता ,
अगर सूर्य न उदय होते
आँख व्यर्थ सब होता । # सूर्योदय की छबि
रवि की किरणे बरस रही है
इस क्षितिज पर आकर ,
कनक फर्श को बिछा रही है
सुबह यहाँ पर लाकर ,
इस दृश्य से आँख न हटती
मन न तृप्त है होता ,
अगर सूर्य न उदय होते
आँख व्यर्थ सब होता । # सूर्योदय की छबि