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सुनो, शहर की भी रोशनी यूं ही गुलजार नहीं होती इश्क

सुनो, शहर की भी रोशनी यूं ही गुलजार नहीं होती
इश्क की जंग में यूं ही हार जाना बेबसी नहीं होती!!

/Captioned/ कुछ साथ गुनगुनाने के लिए लफ्ज़ हैं
हाल बयां करने को खत लिखने हैं
लंबी दूरी में मंजिल और मुसाफिर बनना हैं
मिल जाए वो तलाश बन संवारना हैं

खामोशी की बोली में मिल जाना है
सांझ को ढलते सूरज के रंग में खोना हैं
इलाइची वाली चाय में मिठास घोलनी है
सुनो, शहर की भी रोशनी यूं ही गुलजार नहीं होती
इश्क की जंग में यूं ही हार जाना बेबसी नहीं होती!!

/Captioned/ कुछ साथ गुनगुनाने के लिए लफ्ज़ हैं
हाल बयां करने को खत लिखने हैं
लंबी दूरी में मंजिल और मुसाफिर बनना हैं
मिल जाए वो तलाश बन संवारना हैं

खामोशी की बोली में मिल जाना है
सांझ को ढलते सूरज के रंग में खोना हैं
इलाइची वाली चाय में मिठास घोलनी है
nojotouser1997996959

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