रूठे हुए मन से इसका ख्याल पूछना है, किसका है आंखों को इंतज़ार पूछना है, क्यूं रातों में आकर नींदों को तवाह किया था, वो आयें तो उनसे ये सवाल पूछना है, रोयी है फिर पिंजरें में कैद सी ज़िंदगी, कब होगा ये पंछी आज़ाद पूछना है, झूठे वादों के सहारे क्यूं अगवा किया फिर हमें, उनकी उस रुसवाई को सरेराह पूछना है, अंगड़ाई लेके उठ खड़ा हुआ है मन बंजारा, कहाँ गया उसका वो घर इसबार पूछना है, बेवफ़ाई को अपनी क्यूं सीने मे था छुपाया, क्या था सबकुछ इतना आसान पूछना है, क्यूं भुलाकर वो यादें तन्हा किया फिर हमें, क्या यही था उनका अरमान पूछना है, #river #writersunplugged #wu #top50