सीने से लगा कर रखों मुझे वफा की कोई चाहत नहीं.. समुद्र से भी गहरा है,आँखों का अश्क तुम्हारा फिर भी तैरने की मुझमें कोई चाहत नहीं.. तेरी तस्वीर को सीने से लगा के रखु, ऐसी भी मुझमें कोई चाहत नहीं.. ग़र मेरे दिलों में गम उलझन बन जाये, फिर भी तुम्हें सुनाने की मुझमें कोई चाहत नहीं.. ग़र मिलना चाहो तो ख्वाब बन के मिलों, हकीकत में मिलने की मुझमें कोई चाहत नहीं.. ग़र चमकना चाहो तो मोती बन के चमको, आँखों की चमक बनाने की मुझमें कोई चाहत नहीं.. तुम्हें बनना है तो फूलों की महक बन जाओ, साँसो की महक बनाने की मुझमें कोई चाहत नहीं.. सीने से लगा कर रखों मुझे वफा की कोई चाहत नहीं.. ©Manish kumar #mehibaba