राहें जानी-पहचानी सी हैं, लोग अनजाने से हैं, लोगों की भीड़ में, किसे कहुँ अपना, किसे कहुँ पराया, ये अपने-पराए में, हम खुद को, कैद कर बैठे हैं, दिल में कुछ और, जबान पर कुछ और, छिपाए बैठे हैं, चेहरे पर भी कई, नकाब चढा़ए बैठे हैं, एक मुस्कान के भी, कई राज़ सजाए बैठे हैं, #nakab judge less love more...