a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इक समंदर को पीकर भी प्यासा रहे। इक इक बूंद में भी तृप्त हो गया । इक को मखमल के गद्दों नींद आती नहीं , इक फुटपाथ पर कहीं सो गया। इक खाता है, और खाता चला जा रहा । इक रोटी चक्कर में कहीं खो गया। ए बनाने वाले कुछ रहमत दिखा तेरे होते कोई कैसे रो गया ।। ©SHIVAM TOMAR "सागर" #SunSet Saad Ahmad ( سعد احمد )