गुम जाऊँ कमलेश,किसी घने जंगल में मन बेचैन ही रहा सदा जग के दल दल में कबीर ने जुलाहे के घर में वह सब पाया जो बुद्ध ना पाये थे,अपने पिता के महल में हीरा मिलता है, कोयले के खदानों में दुनियाँ फिर भी क्यों पागल है जाने शकल में ©Kamlesh Kandpal #Shkl