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जब फतवे है उडानों पर, हश्र क्या होगा दिवानों पर,

जब फतवे है उडानों पर,
हश्र क्या होगा दिवानों पर,

मेरी सोच पे पाबंदी है,
बस पिंजरे बिकते है दुकानों पर,

इश्क भी क्या इज़ाजत लेकर होता है?
एसी भी क्या कीमत लगी है समाज की ज़ुबानों पर,

सपने तो देखने ही छोड दिए मैंने,
मेरी जिंदगी के फैसले होते है पडोसियों के रुझानों पर,

हम युंह बागी हो गए,
जो मुस्कुराए नहीं हम उनकी मुस्कानों पर,

यह हकिकत बहुत सड़ा दी है तुम ने,
इसलिए महकशी बिकने लगी है मैखानों पर ।।


 We live in that society,where to fly high is crime.

जब फतवे है उडानों पर,
हश्र क्या होगा दिवानों पर,

मेरी सोच पे पाबंदी है,
बस पिंजरे बिकते है दुकानों पर,
जब फतवे है उडानों पर,
हश्र क्या होगा दिवानों पर,

मेरी सोच पे पाबंदी है,
बस पिंजरे बिकते है दुकानों पर,

इश्क भी क्या इज़ाजत लेकर होता है?
एसी भी क्या कीमत लगी है समाज की ज़ुबानों पर,

सपने तो देखने ही छोड दिए मैंने,
मेरी जिंदगी के फैसले होते है पडोसियों के रुझानों पर,

हम युंह बागी हो गए,
जो मुस्कुराए नहीं हम उनकी मुस्कानों पर,

यह हकिकत बहुत सड़ा दी है तुम ने,
इसलिए महकशी बिकने लगी है मैखानों पर ।।


 We live in that society,where to fly high is crime.

जब फतवे है उडानों पर,
हश्र क्या होगा दिवानों पर,

मेरी सोच पे पाबंदी है,
बस पिंजरे बिकते है दुकानों पर,
namitraturi9359

Namit Raturi

New Creator