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क्या सोचकर नवाजा है तूने मां को, ये तुझसे एक रोज़

क्या सोचकर नवाजा है तूने मां को,
ये तुझसे एक रोज़ फासले कम करके पूछूंगा..!!
क्यों वो डरती, छुपती नज़र आती है,
अपने ही लहू के कतरे से..!!
वो क्यों सामना नहीं कर पाती, आदि शक्ति होकर भी,
क्यों सताई जाती है वो,
एक माटी के जिस्म के लिए..
तुझसे पूछूंगा खुदा,
मेरी, अपनी मुलाकात तक जवाब तलाश कर रखना..!!
- हिमांश #She_and_Society
क्या सोचकर नवाजा है तूने मां को,
ये तुझसे एक रोज़ फासले कम करके पूछूंगा..!!
क्यों वो डरती, छुपती नज़र आती है,
अपने ही लहू के कतरे से..!!
वो क्यों सामना नहीं कर पाती, आदि शक्ति होकर भी,
क्यों सताई जाती है वो,
एक माटी के जिस्म के लिए..
तुझसे पूछूंगा खुदा,
मेरी, अपनी मुलाकात तक जवाब तलाश कर रखना..!!
- हिमांश #She_and_Society