बोल देना दवा को, तेरा असर नहीं चलेगा; अपनों के घाव है, मेरा सफर नहीं चलेगा... कोई भी काम दुनिया में छोटा नहीं होता; बिना किसी चपरासी के, दफ्तर नहीं चलेगा... पांच साल सवालों को टालता रहा जो मंत्री, जानता है चुनाव के वक़्त, झूठा उत्तर नहीं चलेगा... अमीर महलों में, गरीब सड़क पर सो रहे है; दो वर्गों के बिच, अब ये अंतर नहीं चलेगा... जातिवाद को हटा दो समाज से दो दिनों के लिए; फिर देखो; ये दंगो वाला मंज़र नहीं चलेगा...!!! बोल देना दवा को, तेरा असर नहीं चलेगा; अपनों के घाव है, मेरा सफर नहीं चलेगा... कोई भी काम दुनिया में छोटा नहीं होता; बिना किसी चपरासी के, दफ्तर नहीं चलेगा... पांच साल सवालों को टालता रहा जो मंत्री, जानता है चुनाव के वक़्त, झूठा उत्तर नहीं चलेगा...