शिद्दत-ए-तिश्नगी न समझी तूने मेरी तड़प दिल की न समझी तूने मेरी ये कैसा संगदिल प्यार था तेरा सनम चेहरे की उदासी न समझी तूने मेरी अश्कों का लबरेज़ दरिया छलक उठा आँखों की ये नमी न समझी तूने मेरी शिकायत है तुमसे बहुत, मेरे हमनवा शाइरी मुहब्बत की न समझी तूने मेरी इतनी उलझी तो न थी ज़िन्दगी मेरी उलझी ज़िन्दगी न समझी तूने मेरी 🔹शाइरी मुहब्बत की न समझी तूने मेरी🔹 ♥️ Challenge-573 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।