सम्बंध बनाते सब दुनिया मे, निज स्वार्थ को मन मे लिये हुये | मैं नहीं जानता दुनिया दारी, हू मानवता को लिये हुये | तुमने जो जग में देखा, वो सब क्यों हमसे सोच रहे | मैं बिना स्वार्थ के जीने वाला, ये संकल्प सदा ही अटल रहे | मैं बिना स्वार्थ के जीने वाला #