छल कपट व पाप भरा था उसके ही मंसूबों में । वो कातिल तब पलता था वटबारे के बीजों में । आज धरा पर जागे है भाव वहीं कुछ कीड़ों में । जिन्ना हर बार मिटेगा पैदा हो कुछ सीनो में । - कलम "राग" #जिन्ना #रामवीर