बाहर घर के दिखता है सब हरा भरा और सजीव देता है मेरे दिल को सुकून जो हो गया है अब निर्जीव कभी था मेरा ज़माना जब था सब ख़ुशनुमा अब सब उदास है और हर तरफ़ फैला है वीराना फ़िर भी सुकून है मुझे की जिया मैं ज़िंदगी भरपूर अपने किए कर्मों पर होता है मुझे आज भी गुरूर ❤प्रतियोगिता-413❤ 👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 110👍🏻 🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।