मैं इक पुराने किले सा तुम उभरती नई दरार सी हो अक़्स मेरा ही तुली हो तबाह करने मुझी को किसी उस्ताद ने कच्ची ईंटे लगा दी है मेरी नींव में धंसने लगा हूँ ज़मी के भीतर दरक गया हूँ बीचों बीच से माना के हो गया हूँ कमज़ोर बुला लो किसी अच्छे उस्ताद को कर दे मरम्मत मेरी दिवार की के डर लगता है उभरती हुई दरार से डर लगता है ख़ुद के ही अक़्स से मेरी अपनी कमज़ोर ईंटे भी क्या करें उस्ताद ही नहीं चाहता मुकम्मक होना मेरा एक चमकती रौशनी आर-पार हो जाती है दरार से के अब राब्ता हो गया है रौशनी से ! #nojotohindi #nojoto