बचपन के वो दिन पुराने मकान में ढूंढती हूं। जंक खाए तालों में वो मासूमियत ढूंढती हूं। धूल खाई तस्वीरों अपने निशां ढूंढती हूं। वह आंगन जो कभी था मिट्टी का अब कंक्रीट पत्थर से सजा है। वह नादान बचपन ढूंढती हूं। जहां चारों तरफ दिखती थी हरियाली खेत खलियान । अब मकान ही मकान। वह सुकून ए चैन ढूंढती हूं। वो रिश्ते जो प्यार लुटाते थे हमको सरआते थे बाहों में हमें थाम लेते थे। आज वह दौलत के गुरूर में हैं। उनकी आंखों में अपना वह अतीत वह पलछिन ढूंढती हूं। "बदलता दौर,, "बदलते हालात,, "बदलती विचारधाराएं,,,,, #childhood #lovenature #lifechangingquotes #changesinlife #yqdidi #amazing #writer #writingsoul