बचपन-बचपन हम ढूंढते है, बचपन में कहा हम रहते है, ना साफ मन बचपन सा, ना साफ दिल नटखट सा, ना रुठने मनाने का किस्सा, रखते है अब अपनी जेब में गुस्सा, टूटे हुए दिल ना बचपन सा मनवा, टूटी हुई उम्मीदें ना बचपन सा उत्साह, उदास चेहरे लिए निहारे बचपन की ओर, उम्मीद की किरण जल रही भीतर ना देखे उसकी ओर, आज भी बचपन है तेरे अंदर, तू जगाले फिरसे देख उसकी ओर, बचपन -बचपन कुछ नहीं, तेरा सुकून है वो जीवन का, जो सिखाता तुझे जीना, हर घड़ी हर हाल में खुश रहता जो मनवा। ©Shayari#Ayushi #Happiness #bachpan #Poetry #poem #kavita #Hindi #Poetry @nojoto #shayari_ayushi #like #nightsky