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रात की चांदनी या भोर की वो पहली किरण हो, रक्त भले

रात की चांदनी या भोर की वो पहली किरण हो,
 रक्त भले ही भुजावो में ना हो,
रक्षक ही है वो इस देश का ,
जो रंग के अपने लहू से लिखता हिंदुस्तान हो। vicharo ki vandana
रात की चांदनी या भोर की वो पहली किरण हो,
 रक्त भले ही भुजावो में ना हो,
रक्षक ही है वो इस देश का ,
जो रंग के अपने लहू से लिखता हिंदुस्तान हो। vicharo ki vandana

vicharo ki vandana