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"बिस्कुट" हिंदी दिवस के दिन हिंदी को नमन,लेख कैप

"बिस्कुट"


हिंदी दिवस के दिन हिंदी को नमन,लेख कैप्शन मे पढें ।। चाय की चुस्कियाँ और बिस्कुट का स्वाद बस दिन भर की थकान मिटा देती है,ऐसे में बिस्कुट पवित्र चाय की डुबकियां  लगाकर वापस आपके होठों पे आ जाए तो भगवान का शुक्रिया करना ना भूलें , पर धत तेरी की मेरी किस्मत में वो सुख कहाँ? मेरे बिस्कुट ने चाय में डूब कर आत्महत्या कर ली, और सहसा दुख की इस घडी में मुह से निकल गया “साला आखरी बिस्कुट था” । तभी मेरी व्यथा सुनकर दुकान पे खड़े सज्जन जो सिग्रेट फूंक रहे थे ,बोल पड़े अंग्रेजी में “भाई इट्स बिस्कीट नोट बिस्कुट” . मन तो करा की वहीं चाय का प्याला घुमा के मारे सर पे , पर एक दिन में इतने नुकसान गरीब से कहां सहे जाते , मैने भी मुस्कुरा कर उसके वाहियात जवाब को टाल गया, बस चहरे से हम एक दुसरे को जानते थे वो किसी गुडगाँव की कंपनी में नौकरी करता था । चाय खत्म होते ही मेरे दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे की उस भाई ने भरी सभा में इज्जत का चीरहरण कर दिया, पर जरा सोचा समझा तो पल्ले पढ़ा की क्या मुझे नही पता था की बिस्कीट बोला जाता है , हाँ मै भी अच्छे विद्यालय में पढ़ा हूँ पर जो मुझे बोलना अच्छा लगता है तो वो मै बोलूँगा ,क्यों फिर यह “ऑक्सफ़ोर्ड” से अंग्रेजी सिखा समाज दिल से सीखे आदमी को गवार घोषित कर देता है? क्या फर्क पड़ता है अगर मै “बिस्कुट” बोलूं ? क्या इससे बिस्कुट का स्वाद और स्वादिष्ट हो जाएगा ? यह चाय और चुस्किदार हो जाएगी ? या फिर हफ्ता छोटा हो जाएगा अगर मै “वैनजडे” को “वैडनेसडे” बोलूं ? या “पित्जा” को “पीज़ा” बोलने पर मेरी भूख मर जाएगी ? अगर आपके माप दंड यही है किसी को समझने के तो हाँ मै हूँ गावर , मुझे मेरी गवारियत मुबारक । इस गवारियत के बलबूते शायद मै उन महंगे बार में ना जा पाऊं पर दोस्तों के साथ महफ़िल में दिल मेरा भी बराबर चहकता है , आप अंग्रेजों के होंगे शायद 100 मित्र पर मेरे 4 मित्रों से वो कहां मुकाबला कर सकते है जो हर परिस्थिति में स्थित हो जाते है ,हाँ मै गवार हूँ क्युकी मै दिखावा करना नहीं जानता,जो मै मन में हिंदी में बोलता हूँ तो जुबान से भी हिंदी ही छलकती है ,आपको यह बनावटी दुनिया मुबारक  । हाँ अंग्रेज़ी बोलना आना चाहिए पर अगर अपने दोस्तों के साथ भी आप इस चुरायी हुई भाषा को इस्तेमाल करते है तो यक़ीनन या तो आप फर्जी है या आपकी मित्रता । अंग्रेज़ी में A B C D रटने वालों को क्या हिंदी वर्णमाला में “क ख ग” के बाद कुछ आता है ? अगर अपनी मातृभाषा को अहमियत देना मुझे गवारियत में उत्तीर्ण करता है तो गर्व से गवार हूँ मै । इस सब सोच में कब 10 मिनट हो गए पता नहीं चला,नजर दौडाई तो देखा “लार्ड माउन्टबैटन” साहब अब शीतल पय का आनंद ले रहे थे,मै उठ कर जाने लगा तो नजर टकराई और दोनों तरफ से हाथ आगे बढ़ गए और जाते जाते मैंने एक बात कही “बिस्कुट मीठे थे” ।

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"बिस्कुट"


हिंदी दिवस के दिन हिंदी को नमन,लेख कैप्शन मे पढें ।। चाय की चुस्कियाँ और बिस्कुट का स्वाद बस दिन भर की थकान मिटा देती है,ऐसे में बिस्कुट पवित्र चाय की डुबकियां  लगाकर वापस आपके होठों पे आ जाए तो भगवान का शुक्रिया करना ना भूलें , पर धत तेरी की मेरी किस्मत में वो सुख कहाँ? मेरे बिस्कुट ने चाय में डूब कर आत्महत्या कर ली, और सहसा दुख की इस घडी में मुह से निकल गया “साला आखरी बिस्कुट था” । तभी मेरी व्यथा सुनकर दुकान पे खड़े सज्जन जो सिग्रेट फूंक रहे थे ,बोल पड़े अंग्रेजी में “भाई इट्स बिस्कीट नोट बिस्कुट” . मन तो करा की वहीं चाय का प्याला घुमा के मारे सर पे , पर एक दिन में इतने नुकसान गरीब से कहां सहे जाते , मैने भी मुस्कुरा कर उसके वाहियात जवाब को टाल गया, बस चहरे से हम एक दुसरे को जानते थे वो किसी गुडगाँव की कंपनी में नौकरी करता था । चाय खत्म होते ही मेरे दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे की उस भाई ने भरी सभा में इज्जत का चीरहरण कर दिया, पर जरा सोचा समझा तो पल्ले पढ़ा की क्या मुझे नही पता था की बिस्कीट बोला जाता है , हाँ मै भी अच्छे विद्यालय में पढ़ा हूँ पर जो मुझे बोलना अच्छा लगता है तो वो मै बोलूँगा ,क्यों फिर यह “ऑक्सफ़ोर्ड” से अंग्रेजी सिखा समाज दिल से सीखे आदमी को गवार घोषित कर देता है? क्या फर्क पड़ता है अगर मै “बिस्कुट” बोलूं ? क्या इससे बिस्कुट का स्वाद और स्वादिष्ट हो जाएगा ? यह चाय और चुस्किदार हो जाएगी ? या फिर हफ्ता छोटा हो जाएगा अगर मै “वैनजडे” को “वैडनेसडे” बोलूं ? या “पित्जा” को “पीज़ा” बोलने पर मेरी भूख मर जाएगी ? अगर आपके माप दंड यही है किसी को समझने के तो हाँ मै हूँ गावर , मुझे मेरी गवारियत मुबारक । इस गवारियत के बलबूते शायद मै उन महंगे बार में ना जा पाऊं पर दोस्तों के साथ महफ़िल में दिल मेरा भी बराबर चहकता है , आप अंग्रेजों के होंगे शायद 100 मित्र पर मेरे 4 मित्रों से वो कहां मुकाबला कर सकते है जो हर परिस्थिति में स्थित हो जाते है ,हाँ मै गवार हूँ क्युकी मै दिखावा करना नहीं जानता,जो मै मन में हिंदी में बोलता हूँ तो जुबान से भी हिंदी ही छलकती है ,आपको यह बनावटी दुनिया मुबारक  । हाँ अंग्रेज़ी बोलना आना चाहिए पर अगर अपने दोस्तों के साथ भी आप इस चुरायी हुई भाषा को इस्तेमाल करते है तो यक़ीनन या तो आप फर्जी है या आपकी मित्रता । अंग्रेज़ी में A B C D रटने वालों को क्या हिंदी वर्णमाला में “क ख ग” के बाद कुछ आता है ? अगर अपनी मातृभाषा को अहमियत देना मुझे गवारियत में उत्तीर्ण करता है तो गर्व से गवार हूँ मै । इस सब सोच में कब 10 मिनट हो गए पता नहीं चला,नजर दौडाई तो देखा “लार्ड माउन्टबैटन” साहब अब शीतल पय का आनंद ले रहे थे,मै उठ कर जाने लगा तो नजर टकराई और दोनों तरफ से हाथ आगे बढ़ गए और जाते जाते मैंने एक बात कही “बिस्कुट मीठे थे” ।

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namitraturi9359

Namit Raturi

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