दाग़ शरीफ़ों के इस जमाने में एक पैबंद सा हूँ मैं, चाँद पर लगे दाग़ सा हूँ मैं, तेरी मोहब्बत के काबिल कहाँ अब मैं, तेरी मोहब्बत पर लगा दाग़ जो हूँ मैं।। #अंकित सारस्वत# ##दाग़