ज़िन्दगी की डांट खाकर, हर धुप में सवरती हूँ, राहें कितनी भी मुश्क़िल हो पर ‘शान’ से चलती हूँ। मैं खुले आसमान के नीचे सीना तान के चलती हूँ। मुश्किलें तो ‘साज़’ हैं जिंदगी की उठूंगी - गिरूंगी फिर उठूंगी और आखिर मे जीतूंगी मैं ही ये ठान के चलती हूँ। ज़िन्दगी की डाँट खा के... #ज़िन्दगीकीडाँट #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #suchitapandey ज़िन्दगी की डांट खाकर, हर धुप में सवरती हूँ, राहें कितनी भी मुश्क़िल हो पर ‘शान’ से चलती हूँ। मैं खुले आसमान के नीचे