निकलता हूं सुबह सुबह मै घरसे बोझ लिए अपनोंके के जिवनमे जलाने खुशियोंके दिए दरदर भटकना,थोड़ा टूटना थोड़ा बिखरना, फिर संभलना धूप हो या बारिश बिना रुके बिना थके आपनी मंज़िल पे चलना लक्ष को पाने के वादे है मैंने किए निकलता हूं सुबह सुबह मै घरसे बोझ लिए जिंदगी की रेस में कहीं मै पीछे ना छूट जाऊ सबको संवारते संवारते कहीं मै खुद ना टूट जाउ भविष्य की उलझन में खुशियोंके पलभी नहीं जिए निकलता हूं सुबह सुबह मै घर से बोझ लिए ओ त्योहारों की खुशी ओ परिवार की हसी ओ सुख दुख का साथ ओ दिलवालों की बात ओ बच्चोंका प्यार ओ मां का दुलार क्या क्या नहीं खोया मैने कितने आंसू पिए निकलता हूं सुबह सुबह मै घर से बोझ लिए अनिल सपकाळ ८८७९१३८६८६ सेल्स पर्सन #DesertWalk