पचपन में हम अपना बचपन ढूंढ रहे हैं यारा। हँसता और उछलता बचपन सबको लगता प्यारा। निश्छल हि प्यारा सा बचपन खुशी सभी को बाँटे है- ये न्यारा सा बचपन देखो,है सबसे ही न्यारा।। भारत भूषण झा"भरत"