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दिल के हुए हैं जैसे भाग अनेक, हर हिस्से से सुनती,

दिल के हुए हैं जैसे भाग अनेक,
हर हिस्से से सुनती, राग अनेक।

दूरियों में भी कभी हुआ ना जुदा,
क़रीब रही याद की जाग अनेक। 

पसरी थी आस-पास तन्हाई, पर-
वीरानी में खिले रहे बाग़ अनेक। 

गहरे थे ज़ख़्मों के निशान, मगर-
ख़ुशी के लिए भूले दाग़ अनेक। 

एक रंग में रंगाकर भी थे रंगीन, 
जैसे खेले हों साथ फाग अनेक। 

याद-मिट्टी में बोए लफ़्ज़ जो, तो 
उगे सुकूनी हरे-भरे साग अनेक। 

एक में शामिल पूरी दुनिया 'धुन', 
उससे ही निभाना है  बाग अनेक।
-संगीता पाटीदार 'धुन'
 फाग- होली 
बाग- रिश्ता 

कर दी गुस्ताख़ी अनेक...करना माफ़... एक के बाद एक...😋😝😂🤗


OPEN FOR COLLAB✨ #ATfirebg5
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨
दिल के हुए हैं जैसे भाग अनेक,
हर हिस्से से सुनती, राग अनेक।

दूरियों में भी कभी हुआ ना जुदा,
क़रीब रही याद की जाग अनेक। 

पसरी थी आस-पास तन्हाई, पर-
वीरानी में खिले रहे बाग़ अनेक। 

गहरे थे ज़ख़्मों के निशान, मगर-
ख़ुशी के लिए भूले दाग़ अनेक। 

एक रंग में रंगाकर भी थे रंगीन, 
जैसे खेले हों साथ फाग अनेक। 

याद-मिट्टी में बोए लफ़्ज़ जो, तो 
उगे सुकूनी हरे-भरे साग अनेक। 

एक में शामिल पूरी दुनिया 'धुन', 
उससे ही निभाना है  बाग अनेक।
-संगीता पाटीदार 'धुन'
 फाग- होली 
बाग- रिश्ता 

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