तुम नज़रे न झुकाओ मेरे और क़रीब आओ मुझसे निग़ाहें मिलाओ मेरे और क़रीब आओ मैं बाहों में भर लूँ तुम्हें मेरे और क़रीब आओ इस शाम को महकाओ मेरे और क़रीब आओ मैं फ़लक तुम चाँद हो जाओ मेरे इतना और क़रीब आओ महक जाए वहाँ आलम सारा तुम जिधर से गुज़र जाओ तुम नज़रे न झुकाओ मेरे और क़रीब आओ मुझसे निग़ाहें मिलाओ मेरे और क़रीब आओ मैं बाहों में भर लूँ तुम्हें मेरे और क़रीब आओ