हादसों की ज़िद पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें, ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें। मेरा पहला प्रकाशित विचार है, कैसा लगा जरूर बताएं