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~रोता रहा~ अब तो ढल गई शाम, वो थोड़ा-थोड़ा ना जानें

~रोता रहा~

अब तो ढल गई शाम, वो थोड़ा-थोड़ा ना जानें कहाँ खोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

हुई फिर एक रोज़ सुबह, तब भी वो चादर ताने सोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

कहने को तो रिश्ते थे सभी मगर, फिर वो ना जानें क्या सँजोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

आजकल की भीड़-भाड़ में, हर शक़्स नए सपने पिरोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

न जानें है कैसी ये रीत जगत की, हर कोई इसमें ख़ुद को डुबोता रहा
"हिमांश" बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-बस रोता रहा

©Himanshu Tomar(lawyer) #lonely #lonliness #crying #रोता_रहा

#Hopeless
~रोता रहा~

अब तो ढल गई शाम, वो थोड़ा-थोड़ा ना जानें कहाँ खोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

हुई फिर एक रोज़ सुबह, तब भी वो चादर ताने सोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

कहने को तो रिश्ते थे सभी मगर, फिर वो ना जानें क्या सँजोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

आजकल की भीड़-भाड़ में, हर शक़्स नए सपने पिरोता रहा
बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-रोता रहा

न जानें है कैसी ये रीत जगत की, हर कोई इसमें ख़ुद को डुबोता रहा
"हिमांश" बैठ वो घर के किसी एक कोने में रोता रहा-बस रोता रहा

©Himanshu Tomar(lawyer) #lonely #lonliness #crying #रोता_रहा

#Hopeless