इस समय कुछ भी लिखना शायद सही नहीं है, और हो सकता है लोगो का सरकार प्रेम जाग जाए लेकिन औरंगाबाद की घटना क्या सिर्फ एक घटना है? क्यों हर बार गरीबों और मजदूरों के साथ ही ऐसा क्यों? बात ये नहीं है गलती किसकी है बात ये है गरीबों का कोई क्यों नहीं है विदेशों से अभी भी लोगों को भारत वापस लाया जा रहा है क्यों,क्या जो लोग विदेशों में है वो खाने के मोहताज है,क्या उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है,क्या इन्हे सरकारी राशन की जरूरत है या फ़िर कुछ और वजह है? बात फिर वही आ जाती है कि सरकारें बदल जाएगी लेकिन हम हमें इतना अंधा और गूंगा नहीं होना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों को हम ना कुछ बताने लायक रहे और ना दिखाने लायक। राजनीति किसी कि नहीं होती आज मजदूर है ,कल यहीं दिन हो सकता है आप को देखने पड़े क्योंकि जो हालात है को किसी को भी मजबूर और गरीब बना सकते है। समर्थन करना अच्छी बात है और विरोध करना भी लेकिन सबसे जरूरी है जनता,जनता का साथ दे सिर्फ 543 माननीयों से कुछ नहीं होगा, हमें ही एक दूसरे का माननीय बनना होगा सोच बदलनी होगी क्योंकि सिर्फ सरकारें बदलने से कुछ नहीं होगा मजबूत बनिए, देश मजबूरी से नहीं मजबूती से चलता है खुद की हदों को पहचानो, दूसरों के लिए खड़े हो, देश सबका है,हक सबका है, हर मुसीबत,हर हंसी,हर जीत सबकी है भले ही सबके पास मकान नहीं हो लेकिन घर सबका होता है ,सबके घर सुरक्षित रहने चाहिए #writing #hindi #thoughts #lockdown #aurangabad #accident #yqbaba #yourquote