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हास्य की भाषा नही लिखी ही नाही गजल सुनाता हूं कवित

हास्य की भाषा नही लिखी ही नाही गजल सुनाता हूं कविता लिखनी  नहीं है आती चीखे  लिखते जाता हूं हुकुम मेरा सब व्यक्त रखा है खून गरीब का पीने    में तो बाबरी या राम मंदिर का पक्ष नही में लाया हूं घायल भारत चीख रहा है चीख सुनाने आया हूं ।।  जय हिंद जय भारत।।

©Rampravesh 
  #Colors Rampravesh arya
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Rampravesh

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