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"जग्गनाथपूरी रथयात्रा"🌺🙏 विश्व

"जग्गनाथपूरी रथयात्रा"🌺🙏


             

विश्व धरोहर पवित्र नगरी।
जगन्नाथपुरी धाम है।
जग के स्वामी जगन्नाथ को
बारम्बार प्रणाम है ।
शुक्ल पक्ष द्वितीया आषाढ़ के,हर वर्ष मनाया जाता है।
जिसका वर्णन, पुराण और सहिंता में भी पाया जाता है।

जिसके पावों को प्रच्छालित,स्वयं ही सिंधु करता है।
भक्ति से हो भावविभोर ,जहाँ जन सैलाब उमड़ता है ।

चंदन के रथ पर हो सवार भगवन, गुंडिचा मंदिर तक जाते है।
मौसी के घर उनको ,मालपुआ और 56 भोग लगाएं जाते है।

9दिन तक भगवान ,प्रजा के  ,दुःख का पता लगाते है।
 बलभद्र सुभद्रा संग एकादशी को फिर घर को लौट आते है।

मोक्षदायिनी, पतित पावनी नगरी, कृष्णा जी का लोक है।
जिनके दर्शन मात्र से मिटता ,दुःख ,दरिद्र और शोक है ।

"हे प्रभु जगन्नाथ जी! मुझ पर भी एक उपकार करो।
मेरे सर पर हाथ रहे आपका,मेरी विनती बस एक बार सुनो।" #srishti1305
#रथयात्रा
"जग्गनाथपूरी रथयात्रा"🌺🙏


             

विश्व धरोहर पवित्र नगरी।
जगन्नाथपुरी धाम है।
जग के स्वामी जगन्नाथ को
बारम्बार प्रणाम है ।
शुक्ल पक्ष द्वितीया आषाढ़ के,हर वर्ष मनाया जाता है।
जिसका वर्णन, पुराण और सहिंता में भी पाया जाता है।

जिसके पावों को प्रच्छालित,स्वयं ही सिंधु करता है।
भक्ति से हो भावविभोर ,जहाँ जन सैलाब उमड़ता है ।

चंदन के रथ पर हो सवार भगवन, गुंडिचा मंदिर तक जाते है।
मौसी के घर उनको ,मालपुआ और 56 भोग लगाएं जाते है।

9दिन तक भगवान ,प्रजा के  ,दुःख का पता लगाते है।
 बलभद्र सुभद्रा संग एकादशी को फिर घर को लौट आते है।

मोक्षदायिनी, पतित पावनी नगरी, कृष्णा जी का लोक है।
जिनके दर्शन मात्र से मिटता ,दुःख ,दरिद्र और शोक है ।

"हे प्रभु जगन्नाथ जी! मुझ पर भी एक उपकार करो।
मेरे सर पर हाथ रहे आपका,मेरी विनती बस एक बार सुनो।" #srishti1305
#रथयात्रा