हया वो आंख में मासूम सा गुलाब देखा है बुझे दिलों को रौशन कर दे वो जनाब देखा है जो दे वफा जहां में वह कहां कहीं मिलेगा अब सभी के इन सवालों का मैं ने जवाब देखा है मिसाल उसकी सबको मैं वो चांद से भला क्यों दूं दिखे हैं चांद से रौशन वो आफताब देखा है लिबास खूबसूरत अब ये फीके कर दिए हैं सब कोई परी है वो ऐसा मैंने हिजाब देखा है मोहब्बतों के किस्सों में किसे मिली है खुशियां सब पढ़ कर गम भुलाने की मैंने किताब देखा है गुनाह के सभी इल्जाम मुझ पे दे रहे हो तुम कभी तुम्हारे भी आमाल का हिसाब देखा है? shahzad.shaikh #anant