शीश पर विराजित चंद्र और कंठ में भुजंग अद्भुत रूप भूत भावन महाकाल के । त्रिनेत्र त्रिशूल धारी, भस्म जिनको हैं प्यारी स्वामी हैं जो तीनों लोक और काल के || नंदी की सवारी लिये, देव दानव सबके प्रिय शिवजी चले ब्याह रचाने को । ढोल नगाड़ो के संग, भूत पिशाच देव और गण बाराती बन चले नाचने गाने को ॥ मंगल गीत गाकर झूम रही हैं दिशाये वेद मंत्र उच्चारित हुये,जीवंत हुई ऋचायें ॥ एक हुई दो शक्तियां सृष्टि का पालन करने को आतुर हैं उज्जैनी सारी उत्सव मनाने को।। नंदी की सवारी लिये, देव दानव सबके प्रिय शिवजी चले ब्याह रचाने को। लोकेंद्र की कलम से✍️ ©Lokendra Thakur #Shiva #लोकेंद्र_की_कलम_से