समाज में भरे पड़े , गिध भेड़िया इंसानों के रूप ।। और सोचते हैं सुरक्षित हैं बेटियां अपने समाज में ।। ये समाज तय करे हम कैसे रहे ,क्या कपड़ा पहनने।। कोन से समय घर में रहे , शाम ढलते ही फिर पिंजरे मैं कैद रहे ।। लगता हैं कुछ जायदा समझ है समाज में ,, एक तरफ कहे बेटी हमरा सम्मान है ,और दूजा बार कहे अरी वो तो पराय धन ,,, पर आज मै कहती हू बेटी का ना घर है और ना ही घाट हैं,, तेजाबों की होली यह खेेली जाती हैं ।। हर रोज बेटियां यहां जिंदा जलाई जाती हैं,, ये पुरुष वर्ग समाज हैं,,, ये बात हमें शिखाई जाती हैं,, सुनाई जाती हैं,और क्या कहूं ,,,,बस एक तेजाब हैं ।। dear society... #nojoto#nojotoenglish#socitey