जिंदगी भी आजकल सितम ढा रही, एक समस्या खतम नही,दूसरी आवाज लगा रही, इम्तेहान पर इम्तेहान,लिए जा रही, मैं खड़ा मजबूती से,अंतरात्मा से आवाज आ रही , जीत जाएंगे थोड़ा रखो सब्र, घडी वो नजदीक आ रही, जीत जाएंगे हम,थोड़ा रखो सब्र,घड़ी वो नजदीक आ रही,