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मेरे लफ्जों के शोर से न हो परेशां तू * * * कफन हटा

मेरे लफ्जों के शोर से न हो परेशां तू
* * *
कफन हटाना तो देखना साथी 
तुमको मेरी खामोशी भी नजर आएगी  मैं सच बोलता हूँ , तो मेरी जुबां
वाजिब है तुम्हे जहर नजर आएगी 
पर परेशां ना हो इस कदर इतना
मुमकिन है कोई रात हो मेरी
जिसकी कोई ना सहर आएगी
मेरे तल्ख़ी भरे लफ़्ज़ों से ना परेशां हो
कफन हटाना तो देखना उस दिन
बस मेरी खामोशी ही नजर आएगी
मेरे लफ्जों के शोर से न हो परेशां तू
* * *
कफन हटाना तो देखना साथी 
तुमको मेरी खामोशी भी नजर आएगी  मैं सच बोलता हूँ , तो मेरी जुबां
वाजिब है तुम्हे जहर नजर आएगी 
पर परेशां ना हो इस कदर इतना
मुमकिन है कोई रात हो मेरी
जिसकी कोई ना सहर आएगी
मेरे तल्ख़ी भरे लफ़्ज़ों से ना परेशां हो
कफन हटाना तो देखना उस दिन
बस मेरी खामोशी ही नजर आएगी
saurabhmishra6084

saurabh

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