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नौबहार (ग़ज़ल) दो दिल मिले है जैसे कोई गुल खिले,

नौबहार (ग़ज़ल) 

दो दिल मिले है जैसे कोई गुल खिले,
पलकें शर्मा गई जैसे सारी फलक गिरे।

नौबहार आई है मोहब्बत की भी सनम,
चलते थे और चलते रहेंगे कई सिलसिले।

नए जज़्बात लाई है ये पेड़ो की नई पत्तियां,
असर तो कर रही है प्यार की जड़ी बूटियां।

जैसे छायी है हर तरफ सिर्फ हरियाली,
आती थी, आती रहेंगी इश्क़ के रंगों की होलिया।

नौबहार है ये तपश्चर्य को तुम ना तोड़ना,
'शिव' की भी कर लो थोड़ी सी आराधना।

क्या पता कल हो ना हो कोई कद्र करनेवाला,
दिल से कर लो इश्क़ की भी थोड़ी साधना।

ऋतुराज भी कहलाती है इश्क-ए-नौबहार,
आई देखो मेरे इंतज़ार के एहसास की गुलबहार।

लाई है मेरे महबूब के रूप में प्यारा एक उपहार,
कर दिया है दिल ने भी इश्क-ए-इज़हार।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-1

#नौबहार
#collabwithक़लम_ए_हयात
#क़लम_ए_हयात
#जन्मदिन_qeh22
नौबहार (ग़ज़ल) 

दो दिल मिले है जैसे कोई गुल खिले,
पलकें शर्मा गई जैसे सारी फलक गिरे।

नौबहार आई है मोहब्बत की भी सनम,
चलते थे और चलते रहेंगे कई सिलसिले।

नए जज़्बात लाई है ये पेड़ो की नई पत्तियां,
असर तो कर रही है प्यार की जड़ी बूटियां।

जैसे छायी है हर तरफ सिर्फ हरियाली,
आती थी, आती रहेंगी इश्क़ के रंगों की होलिया।

नौबहार है ये तपश्चर्य को तुम ना तोड़ना,
'शिव' की भी कर लो थोड़ी सी आराधना।

क्या पता कल हो ना हो कोई कद्र करनेवाला,
दिल से कर लो इश्क़ की भी थोड़ी साधना।

ऋतुराज भी कहलाती है इश्क-ए-नौबहार,
आई देखो मेरे इंतज़ार के एहसास की गुलबहार।

लाई है मेरे महबूब के रूप में प्यारा एक उपहार,
कर दिया है दिल ने भी इश्क-ए-इज़हार।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-1

#नौबहार
#collabwithक़लम_ए_हयात
#क़लम_ए_हयात
#जन्मदिन_qeh22