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बारिश के बुंदे जैसे मिटटी को स्पर्श करती हैं, वैसे

बारिश के बुंदे जैसे मिटटी को स्पर्श करती हैं, वैसे ही तुम्हारी मुस्कराहट हमारे हिरदय को स्पर्श करती हैं ।
और जैसे ये बुंदे मिटटी को स्पर्श 
करती हैं तब सारा संसार मधुर सुगंध से महक उठता है। 
वैसे ही तुम्हारी मुस्कराहट हमारे हिरदय को स्पर्श करती हैं तब हमारा संसार मधुर सुगंध से महक उठता है। Simran Sharma Deepti Srivastava
बारिश के बुंदे जैसे मिटटी को स्पर्श करती हैं, वैसे ही तुम्हारी मुस्कराहट हमारे हिरदय को स्पर्श करती हैं ।
और जैसे ये बुंदे मिटटी को स्पर्श 
करती हैं तब सारा संसार मधुर सुगंध से महक उठता है। 
वैसे ही तुम्हारी मुस्कराहट हमारे हिरदय को स्पर्श करती हैं तब हमारा संसार मधुर सुगंध से महक उठता है। Simran Sharma Deepti Srivastava
abhiraj4128

AbhiRaj

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