तुम जो कहते हो यार..! फक़त ऐसा नहीं था उजड़ी हो जिसमे ज़िंदगी, वो सिर्फ हादसा नहीं था यादों के मलबे में दबी हैं माज़ी की चिंखे किश्ती की खुशफहमी, दरिया को दोस्ती नहीं था तुम जो कहते हो यार..! फक़त ऐसा नहीं था ग़म था उसे मज़ीद और इज़ाफा कर आया हूं मोड़ था वीरान और उसे तन्हा छोड़ आया हूं पहेली ज़िंदगी की क्या सुलझा पाएगी लड़की नादान है वो और मैं पेचीदा कर आया हूं शाहनावज उस टूटी किश्ती का भी किनारा होता अगर तुम्हें उससे माज़रत ना गवारा होता.. ©Shahnawaz Atique #WalkingInWoods #shahnawazatique #Shayari #viran #gam #Broken #Shayar #mohabbat #Love #nojato