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तोड़कर फूल एक डाली से, मत समझ जीत गया तू, मैं फूल

तोड़कर फूल एक डाली से, मत समझ जीत गया तू,
मैं फूल नहीं फूलों की पूरी क्यारी बनाने निकला हूं।
तू भीड़ में उड़ती पतंगों के पेचों से लड़,
मैं मांझे को मजबूत बनाने निकला हूं।
नहीं डर मुझे खोने का अब कुछ भी,
मैं अपनों को अपना बना कर निकला हूं।
सपने हज़ार हैं राहों में, मुठ्ठी भर संजोने निकला हूं।

-Kalamkaar Prateek #MereSapne #Dreams #Desire #Poetry #youtubechannel #KalamkaarPrateek #MeriKavita #Followme
kanak lakhesar🖤
तोड़कर फूल एक डाली से, मत समझ जीत गया तू,
मैं फूल नहीं फूलों की पूरी क्यारी बनाने निकला हूं।
तू भीड़ में उड़ती पतंगों के पेचों से लड़,
मैं मांझे को मजबूत बनाने निकला हूं।
नहीं डर मुझे खोने का अब कुछ भी,
मैं अपनों को अपना बना कर निकला हूं।
सपने हज़ार हैं राहों में, मुठ्ठी भर संजोने निकला हूं।

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