आंखें बंद हम भी करते हैं अब सच मान कर किताबों को पढ़ते हैं अब अलहदगी लोगों से मेरी बेवज़ह न थी (अलहदगी = अलग रहना) भीड़ में शामिल हो के देखते हैं अब डर तुमसे नहीं, तुम्हारी बेपरवाहियों से था अफसोस, खुद में तुम्हे ही पाते हैं अब क्या पा लिया मुझको झुठला के तूमने मंज़िल मेरी न सही, राह तेरी चलते हैं अब हमदर्दी, इश्क़, वफ़ादारी.. क्या होती है वक़्त बेवक़्त लोग बदल जाते हैं अब छुपा नहीं है कुछ, पर्दा ये तुम्हारा है आओ.. ख़ैरियत किसी और की पूछते हैं अब ठहर जाओ, वक़्त अब भी है दोस्तों किसी भूखे को एक निवाला खिलाते हैं अब #hindi #urdu #ghazal #gazal #betrayal #success #failure #humanity