मॉ कि नजरो के चराग थे कभी जो उजालो सा ख्वाब थे कभी जो हुस्न का हश्र भी कमाल का साहेब!!! कालिख पसंद करने लगे है वो आज कल... Fair&lovely का कमाल थे जो कभी बदलती रंगत