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मत सोच तू कमज़ोर है तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो

मत सोच तू कमज़ोर है

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला
यह सफ़र है तेरा अपना, मंजिल तक तुझे है पहुंँचना
विश्वास रख खुद पर अभी तो तूफानों से भी है तुझे लड़ना।

फौलाद कर तू इरादे अपने, एक जुनून जगा दिल में
किसी के साथ की आस में क्यों उम्मीदों को है पिघलाना
तू खुद ही सारथी बन जा अपने इस सफ़र का 
राह में आएं मुश्किलें भी तो उनसे क्या है घबराना।

ज़रूरी तो नहीं सदा हमारे ही अनुकूल हो परिस्थितियाँ
ज़िंदगी का सफ़र है तो लाज़मी है इम्तिहानो का भी होना
अंँधेरी राहों में प्रकाश दिखाने को कोई साथ ना हो
तो तुम्हें अपनी हिम्मत, अपना प्रकाश स्वयं ही है बनना।

मत सोच तू कमज़ोर है, तुझमें भी हौसला बेजोड़ है
बस नाउम्मीदी के बादलों में खुद को न घिरने देना
कर्म को बना अपना हथियार, तू कभी हार कर मत बैठ
छूट गया कारवां पीछे तो छूटने दे, खुद को ना गिरने देना।

कोशिश कर बार-बार कर कोशिश कभी बेकार नहीं जाती
निष्ठा से कर कर्म योग तू गर लक्ष्य को तुझे है पाना
नए जोश, नई उर्जा से हर बार तू एक नया प्रयास तो कर
कर्म के दर्पण में दिखेगा ज़रूर तेरी सफलता का पैमाना

निष्ठा जिसके प्रयास में वो मुश्किलों से हार नहीं मानता है
ज़रूरत नहीं किसी के साथ की अकेले ही मंजिल ढूंँढ लेता है
खम ठोंक  ठेलता है जब नर, पर्वत के  जाते  पांव उखड़
मानव जब जोर लगाता है तो पत्थर पानी बन जाता है।

©Mili Saha
  मत सोच तू कमज़ोर है

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला! 
प्रथम दो पंक्तियांँ 2 पंक्तियां "रविंद्र नाथ टैगोर" जी की कविता "चल तू अकेला" कविता से ली गई है।


खम ठोंक  ठेलता है जब नर, पर्वत के  जाते  पांव उखड़
milisaha6931

Mili Saha

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मत सोच तू कमज़ोर है तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला! प्रथम दो पंक्तियांँ 2 पंक्तियां "रविंद्र नाथ टैगोर" जी की कविता "चल तू अकेला" कविता से ली गई है। खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पांव उखड़ #Motivational #Hindi #nojotohindi #nojotohindipoetry #प्रेरक

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