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मेरी साइकिल यादों की साइकिल लेकर, आज फिर चली पड़ी

मेरी साइकिल  यादों की साइकिल लेकर,
आज फिर चली पड़ी हूँ,
यादों की पुरानी गलियों में,
हाँ उसी पुराने सफ़र पर,
सुकून था जहाँ हर लम्हा,
मंज़िलों की न थी फ़िकर।
गुनगुना रही हूँ गीत फिर वही,
तुम भी इक बार गुनगुनाओ तो सही।

©Meena Singh Meen #WorldBicycleDay2021
मेरी साइकिल  यादों की साइकिल लेकर,
आज फिर चली पड़ी हूँ,
यादों की पुरानी गलियों में,
हाँ उसी पुराने सफ़र पर,
सुकून था जहाँ हर लम्हा,
मंज़िलों की न थी फ़िकर।
गुनगुना रही हूँ गीत फिर वही,
तुम भी इक बार गुनगुनाओ तो सही।

©Meena Singh Meen #WorldBicycleDay2021