विश्व चलेगा उनकी शर्तो पर अब कौन जय हिंद कहता है जहाँ जन्म लिए मेरे वीरों ने बताओ, वहाँ कौन रहता है क्या मिला लहू उन्हें बहाकर अब किसका लहू उबलता है क्या मिला मुल्क आजाद कराकर वो फिर नये देश को मरता हैं षडयंत्र को नई क्रांति कहकर जनक जन्मदाता कहता है अखंड राष्ट्र के टुकडे करके खंड खंड वो करता है तेरह टुकड़े कर गए राष्ट्र के तब तो देश अपाहिज है अखंड करे फिर राष्ट्र को जो उस योद्धा की बस ख्वाईश है लटकाना पडे तो लटकादो दो चार दस अफसर को जलाना पडे तो जलादो कुछ नेता कुछ दफ्तर को आग लगा दो बीच चौराहे हर उस द्रोही गद्दार को जो कहे करे अहित हमारे राष्ट्र रक्षक नीति नर नार को राष्ट्रभक्ति का बस एक चरित्र हो जो अर्जित करे उन टुकड़ों को और कोई किसी कारण से देश कभी न विभाजित हो देश इतिहास का हर एक योद्धा चाहे मृत या जीवित हो उस वीर सपूत से स्पर्श हर भूमी मेरे राष्ट्र की धरोहर हो युवा पीढी फिर प्रश्न करे क्यों वहाँ कौन अब रहता है भूमि स्वयं उत्तर देगी के यहाँ हिंद योद्धा रहता है "वहाँ कौन रहता है " #Sadharanmanushya ©#maxicandragon विश्व चलेगा उनकी शर्तो पर अब कौन जय हिंद कहता है जहाँ जन्म लिए मेरे वीरों ने बताओ, वहाँ कौन रहता है क्या मिला लहू उन्हें बहाकर अब किसका लहू उबलता है क्या मिला मुल्क आजाद कराकर