शक्ल पे दिखती है मेहनत ज़िंदगी की जो समझता है उसे खामोश रहता है रास्तों से इश्क़ में मसरूफ़ वक़्त है गोया शहर में ही ख़ानाबदोश रहता है . खानाबदोश