ज़िन्दगी में जिसके भी मस्तियाँ नहीं होतीं पार उन्ही लोगों की कश्तियाँ नहीं होतीं कई बार जीवन में ऐसे लम्हें आते हैं दिल तड़पके रोता है, सिसकियाँ नहीं होतीं लोग तो उम्मीदों से, डालते हैं कांटा पर हर किसी के हिस्से में मछलियाँ नहीं होतीं प्यार तो कभी ना कभी, सबको हो ही जाता है हर किसी के किस्मत में शादियाँ नहीं होतीं बाप मिल तो जाता है दुनिया की हर बेटी को हर पिता की किस्मत में, बेटियाँ नहीं होतीं --प्रशान्त मिश्रा नहीं होतीं ग़ज़ल