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पल्लव की डायरी मेरे हाथ मे लकीरे उकेरी ही नही गयी

पल्लव की डायरी
मेरे हाथ मे लकीरे उकेरी ही नही गयी
किसी भी फकीर से किस्मत पढ़ी नही ग़यी
में भी पेट के बोझ से दबी हुयी हूँ
किताबे पढ़ने की उम्र अभी ग़यी नहीं
चलते हुकूमतों के मेरे हक में प्रोग्राम
मेरे घर से अभी तक गरीबी ग़यी नही 
बचपन बोझा दोहता है देखकर
शर्म किसी मे बची नही
दरिया पैसों का शहरों में बहता है
वो नदी गांव तक मुड़ी ही नही
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" वो नदी गांव तक मुड़ी ही नही

#Labourday
पल्लव की डायरी
मेरे हाथ मे लकीरे उकेरी ही नही गयी
किसी भी फकीर से किस्मत पढ़ी नही ग़यी
में भी पेट के बोझ से दबी हुयी हूँ
किताबे पढ़ने की उम्र अभी ग़यी नहीं
चलते हुकूमतों के मेरे हक में प्रोग्राम
मेरे घर से अभी तक गरीबी ग़यी नही 
बचपन बोझा दोहता है देखकर
शर्म किसी मे बची नही
दरिया पैसों का शहरों में बहता है
वो नदी गांव तक मुड़ी ही नही
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" वो नदी गांव तक मुड़ी ही नही

#Labourday

वो नदी गांव तक मुड़ी ही नही #Labourday