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गुज़रे हुए लम्हात को सोचूंगा और क्या, फिर अपने आपक

गुज़रे हुए लम्हात को सोचूंगा और क्या,
फिर अपने आपको कहीं ढूंढूंगा और क्या।

तुमने तो क‌ई बार किया तर्क ताल्लुक,
अब अपने आप से भी मैं रूठूंगा और क्या।

माज़ी की दास्तां से है निस्बत अभी तुम्हे,
मुझमें ही कुछ कमी है ये समझूंगा और क्या।

फिर मुझसे दूर जाने की तुम बात करोगे,
फिर अश्कबार आंखों से रोकूंगा और क्या।

फितरत को बदलने का तकाज़ा करोगे तुम,
फिर ख़्वाब अपनी आंखों से नोचूंगा और क्या।

गर कुफ़्र को ईमान पे तरजीह दोगे तुम,
मुंह मोड़ ज़िंदगी से मैं चल दूंगा और क्या। #yqaliem #yqbahijan #guzrehuepal #marasim #sochenge
गुज़रे हुए लम्हात को सोचूंगा और क्या,
फिर अपने आपको कहीं ढूंढूंगा और क्या।

तुमने तो क‌ई बार किया तर्क ताल्लुक,
अब अपने आप से भी मैं रूठूंगा और क्या।

माज़ी की दास्तां से है निस्बत अभी तुम्हे,
मुझमें ही कुछ कमी है ये समझूंगा और क्या।

फिर मुझसे दूर जाने की तुम बात करोगे,
फिर अश्कबार आंखों से रोकूंगा और क्या।

फितरत को बदलने का तकाज़ा करोगे तुम,
फिर ख़्वाब अपनी आंखों से नोचूंगा और क्या।

गर कुफ़्र को ईमान पे तरजीह दोगे तुम,
मुंह मोड़ ज़िंदगी से मैं चल दूंगा और क्या। #yqaliem #yqbahijan #guzrehuepal #marasim #sochenge